*ट्रांसफर के बाद भी सतना (मैहर) में जमे हैं जी.के. बैगा!*
*प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बना 'धन्नासेठों' का संरक्षण केंद्र?*
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय सतना में पदस्थ कनिष्ठ वैज्ञानिक जी.के. बैगा का ट्रांसफर तो महीनों पहले हो चुका है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि वो अब तक सतना और विशेष रूप से मैहर का मोह नहीं छोड़ पाए हैं! ❓ *अब सवाल उठ रहा है—* आख़िर ऐसा क्या है मैहर में, जो ट्रांसफर के बाद भी उन्हें बांधे हुए है? क्या कोई बड़ा धन्नासेठ उन्हें रोक कर बैठा है? मैहर में प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कार्यप्रणाली पहले से ही संदेह के घेरे में रही है। बिना अनुमति चल रहे उद्योग, धुएं से सना आसमान और बगैर पर्यावरणीय मंज़ूरी के संचालन—सब पर विभाग की चुप्पी बहुत कुछ कहती है।
जनता पूछ रही है—क्या ये विभाग अब जन स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि उद्योगपतियों के हितों का रक्षक बन गया है? जी.के. बैगा की सतना में डटे रहने की ज़िद सिर्फ संयोग है या किसी मजबूत 'संपन्न' हाथ की कठपुतली?
अब वक्त आ गया है कि प्रशासन सख़्त कदम उठाए, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके और जवाबदेही भी तय हो!